रक्षाबंधन : इस बार नौ अगस्त को मनाया जाएगा यह पावन पर्व

rakshabandhan-this-time-this-holy-festival-will-be-celebrated-on-9th-august by Dr Suresh Uniyal Ji maharaj

 

रक्षाबंधन का पावन पर्व इस वर्ष 9 अगस्त, श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाएगा। यह त्यौहार भाई-बहन के स्नेह, समर्पण और रक्षा के अटूट बंधन का प्रतीक है। सावन माह में आने के कारण इसे श्रावणी या सावनी भी कहा जाता है।

इस बार कुछ स्थानों पर रक्षाबंधन की तिथि को लेकर भ्रांतियाँ फैलाई गई हैं, जिन्हें लेकर यमुना पुत्र आचार्य डॉ. सुरेश उनियाल “महाराज” जी ने शास्त्रों और ज्योतिषीय पंचांग के अनुसार स्पष्ट जानकारी दी है।

मुहूर्त
  • भद्रा समाप्ति: 9 अगस्त को प्रातः 1:52 बजे
  • रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त: प्रातः 5:39 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक
  • पूर्णिमा तिथि: प्रारंभ – 8 अगस्त को दोपहर 1:40 बजे से
    समाप्ति – 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे तक
  • श्रवण नक्षत्र: दोपहर 2:24 बजे तक

इस प्रकार, 9 अगस्त को सूर्योदय से दोपहर 1:24 बजे तक रक्षाबंधन के लिए उत्तम समय रहेगा। भद्रा दोष इस समय नहीं है।

रक्षासूत्र का महत्व

डॉ. सुरेश उनियाल “महाराज” जी ने बताया कि रक्षासूत्र (राखी) केवल एक धागा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संकल्प है। चाहे राखी कच्चे सूत की हो या रेशमी या स्वर्ण-रजत की, सच्चा महत्व उस भावना का है, जिससे बहन अपने भाई की रक्षा का संकल्प लेती है।

पौराणिक कथाएं
  • महाभारत में द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को राखी बांधी थी।
  • रानी कर्णावती ने मुग़ल शासक हुमायूँ को राखी भेजी थी।
  • माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर भगवान विष्णु को उनके वचन से मुक्त कराया था।

“जब भाई-बहन मिलते हैं तो हर अमंगल भी मंगल में बदल जाता है। भद्रा दोष जैसी भ्रांतियों से डरने की आवश्यकता नहीं है। नारी का सम्मान और उसकी रक्षा ही रक्षाबंधन का वास्तविक अर्थ है।”
— आचार्य डॉ. सुरेश उनियाल ‘महाराज’

उन्होंने अपील की कि हर घर में नारी का सम्मान हो, बहनों को आदर मिले। बहन, बहन होती है – चाहे वह अपनी हो या किसी और की। मामा का घर तब बैकुंठ बनता है जब बहिन, भांजा-भांजी के चरण वहां पड़ते हैं। जिस घर में बहनों का मान नहीं, वह घर नरक तुल्य है।

आइए, इस रक्षाबंधन संकल्प लें:

“हम हर नारी की रक्षा करेंगे, हर बहन को सम्मान देंगे — तभी यह पर्व अपने सही अर्थों में सार्थक होगा”

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