हरेला की पूर्व संध्या पर हरियाली का संदेश, वुडलैंड स्कूल में बच्चों ने किया पौधारोपण

Harela

 

पौधारोपण कार्यक्रम में बच्चों ने लिया पर्यावरण संरक्षण का संकल्प

हल्द्वानी. उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला की पूर्व संध्या पर वुडलैंड स्कूल कमलुवागांजा में प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता का सुंदर संगम देखने को मिला। सेल्फ रिलायंस इनिशियेटिव संस्था के तत्वावधान में आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में बच्चों, शिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर हरियाली का संदेश दिया।

कार्यक्रम में संस्थाध्यक्ष तनुजा जोशी, मिथुन जायसवाल, स्कूल प्रबंधक रंजना धामी, प्रिंसिपल मनप्रीत कौर, स्कूल की शिक्षिकाएं और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। बच्चों में कार्यक्रम को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया। कई बच्चे अपने घरों से पौधे लेकर आए थे—यह स्वयं में एक सकारात्मक संकेत था कि आज की पीढ़ी पर्यावरण के प्रति सजग हो रही है।

Woodland School

लगाए गए जीवनदायी पौधे

सभी ने मिलकर आंवला, बेलपत्र, कनेर, गुलमोहर, जामुन जैसे छायादार और औषधीय गुणों से युक्त करीब 25 बड़े पौधे लगाए। साथ ही 25 गमले में उगने वाले पौधे भी लगाए गए, जिन्हें स्कूल परिसर में ही संरक्षित किया जाएगा। बच्चों ने अपने हाथों से पौधों की मिट्टी तैयार की, पानी दिया और संरक्षण का संकल्प लिया।

हरेला: प्रकृति से जुड़ने का पर्व

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तनुजा जोशी ने कहा— “हरेला केवल पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति से हमारे जुड़ाव का प्रतीक है। हमारे पूर्वजों ने जल, जंगल और ज़मीन को देवतुल्य माना और उनकी पूजा की। आज अगर हम स्वच्छ हवा में सांस ले पा रहे हैं, तो यह उनकी संवेदनशीलता का ही परिणाम है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम पौधारोपण कर इस परंपरा को आगे बढ़ाएँ।”

बच्चों ने लिया संकल्प

कार्यक्रम के अंत में सभी बच्चों ने एक स्वर में कहा कि वे अपने द्वारा लगाए गए पौधों की देखभाल करेंगे और दूसरों को भी पर्यावरण बचाने के लिए प्रेरित करेंगे। साथ ही सभी ने प्रकृति की समृद्धि और हरियाली के लिए सामूहिक प्रार्थना की।

क्या है हरेला पर्व?  
  • हरेला पर्व उत्तराखंड का एक पारंपरिक पर्व है, जो हरियाली और प्रकृति की उपासना से जुड़ा हुआ है।
  • यह मुख्यतः कुमाऊं क्षेत्र में श्रावण मास की संक्रांति (16 जुलाई से) को मनाया जाता है।
  • हरेला का शाब्दिक अर्थ है – “हरियाली का आगमन”।
  • इस दिन घरों में छोटे-छोटे हरे पौधे (हरेला) उगाए जाते हैं और बड़ों से आशीर्वाद लिया जाता है।
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