
राजस्थान में राष्ट्रीय बाल कविगोष्ठी में रवांल्टी बाल कविता का हुआ पाठ
महावीर रवांल्टा को मिला श्यामसुंदर नागला स्मृति राष्ट्रीय बालवाटिका सृजन सम्मान-2025
- हिमांतर ब्यूरो
शिक्षा, साहित्य एवं सांस्कृतिक संस्कार की मासिक पत्रिका ‘बालवाटिका’, राजस्थान साहित्य अकादमी और विनायक विद्यापीठ,भूणास (भीलवाड़ा) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 26 वीं राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह में महावीर रवांल्टा को बाल साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय अवदान के लिए श्यामसुन्दर नागला स्मृति राष्ट्रीय बालवाटिका सृजन सम्मान-2025 से सम्मानित किया गया जिसमें समारोह के संयोजक एवं ‘बालवाटिका’ के संपादक डॉ भैंरूलाल गर्ग, ‘बालप्रहरी’ के संपादक उदय किरौला, डॉ श्याम सुन्दर भट्ट, पूर्व अध्यक्ष नगर विकास न्यास लक्ष्मी नारायण डाड, प्रधानमंत्री साहित्य मंडल श्रीनाथद्वारा श्याम प्रकाश देवपुरा, राजेन्द्र ओस्तवाल, विनायक विद्यापीठ के निदेशक डॉ देवेन्द्र कुमावत द्वारा उन्हें स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र,श्रीफल,शाल, पुष्पहार तथा नगद राशि भेंटकर सम्मानित किया गया.
विनायक विद्यापीठ भूणास भीलवाड़ा (राजस्थान) के सभागार में आयोजित द्विदिवसीय कार्यक्रम में राष्ट्रीय संगोष्ठी का केन्द्रीय विषय ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और हमारा दायित्व’ रहा जिसके विभिन्न सत्रों में देशभर से पधारे प्रतिष्ठित बाल साहित्यकारों ने अपने विचार रखे. राष्ट्रीय बाल काव्य गोष्ठी सत्र में महावीर रवांल्टा ने अपनी रवांल्टी बाल कविता ‘बंठ्या माने आपड़ गां,निपणु दूध साजी छां—‘ का पाठ कर रवांल्टी की ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया. भारतीय ज्ञान परंपरा-छोटी-छोटी मोटी बातें सत्र में वे डॉ लता अग्रवाल ‘तनुजा’ के साथ विशिष्ट अतिथि के रुप में मंचासीन रहे जिसमें ‘देवपुत्र’ पत्रिका के संपादक गोपाल माहेश्वरी ने पत्र वाचन किया. मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी पुरस्कार सम्मानित डॉ हूंदराज बलवाणी थे.
साहित्य की अन्य विधाओं की तरह बाल साहित्य में भी समान रूप से कलम चलाने वाले महावीर रवांल्टा की अब तक बच्चों के लिए ‘ननकू नहीं रहा’,’गोलू पढेगा’,’विनय का वादा’,’अनोखा जन्मदिन’,’जुगनू की पढ़ाई’,दैत्य और पांच बहिनें’,’ढेला और पत्ता’,’पोखू का घमंड’,’चल मेरी ढोलक ठुमक ठुम’,’सफलता का शिखर’,’स्वतत्रंता आंदोलन की कहानी’ जैसी कृतियां आ चुकी हैं.बाल प्रहरी,बाल साहित्य संस्थान(अल्मोड़ा),बाल कल्याण संस्थान, उत्तराखण्ड बाल कल्याण साहित्य संस्थान (खटीमा) बाल कल्याण एवं शोध केन्द्र (भोपाल) शब्द प्रवाह (उज्जैन) राजकुमार जैन राजन फाउंडेशन (आकोला) पं हरप्रसाद पाठक स्मृति बाल साहित्य समिति (मथुरा) मातेश्वरी
विद्या देवी बाल साहित्य शोध एवं विकास संस्थान (सिरसा) द्वारा उन्हें बाल साहित्य सृजन के लिए सम्मानित किया जा चुका है. साहित्य की विभिन्न में सृजन करते हुए उनकी अब तक 44 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. इन दिनों वे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पुरोला में मुख्य फार्मेसी अधिकारी के रुप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.