
- हिमांतर ब्यूरो, देहरादून
कभी अपने घर के आंगन तक सीमित रह गईं काजल, रागिनी और प्रीति अब स्कूल की वर्दी पहनकर शिक्षा के मंदिर में कदम रख चुकी हैं. चेहरे पर झलकती यह मासूम मुस्कान केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए उम्मीद का प्रतीक है.
बीते दिनों यह तीनों बहनें, अपनी बड़ी बहन सरिता के साथ जिलाधिकारी संविन बंसल से मिली थीं. मां की डूबने से हुई असामयिक मृत्यु और पिता की बेरोज़गारी ने इन नन्हीं बालिकाओं से पढ़ाई का हक़ छीन लिया था. सरिता ने अपनी व्यथा डीएम को सुनाई, फीस चुकाने की सामर्थ्य न होने से तीनों बहनों की पढ़ाई छूट गई थी, और भविष्य अंधकार में डूबने लगा था.
लेकिन प्रशासन ने त्वरित निर्णय लेते हुए इनकी ज़िंदगी की दिशा बदल दी. जिलाधिकारी के निर्देश पर काजल (कक्षा 5), प्रीति (कक्षा 4) और रागिनी (कक्षा 3) को राजकीय प्राथमिक विद्यालय, लाडपुर, रायपुर में प्रवेश दिलाया गया. वहीं सरिता को रोजगारपरक प्रशिक्षण के लिए जीएमडीआईसी से जोड़ा जा रहा है ताकि वह स्वरोजगार या नौकरी के ज़रिये परिवार को संबल दे सके.
जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा, “शिक्षा ही बच्चों का भविष्य संवार सकती है. हर बेटी को पढ़ने का अवसर मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी परिस्थिति से गुजर रही हो.”
सिर्फ तीन बेटियों तक ही नहीं, बल्कि प्रशासन ने ऐसी सभी असहाय बच्चियों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल तेज़ कर दी है. प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ के अंतर्गत उन परिवारों की पहचान की जा रही है, जिनकी आर्थिक स्थिति के कारण बेटियां शिक्षा से वंचित हैं. उन्हें निःशुल्क यूनिफॉर्म, किताबें और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है.
आज जब काजल, रागिनी और प्रीति स्कूल की ड्रेस पहनकर खिलखिलाती मुस्कान के साथ कक्षा में पहुंचीं, तो यह सिर्फ एक प्रवेश नहीं था- यह भविष्य की ओर बढ़ता आत्मविश्वास भरा कदम था.