
देश की पहली महिला सचिव बनाकर रचा इतिहास
- विजेन्द्र रावत, वरिष्ठ पत्रकार
देहरादून के प्रतिष्ठित होटल हयात में शनिवार की शाम कुछ खास थी। हॉल में मौजूद लोग गुलदस्तों और शुभकामनाओं के साथ उस बेटी का स्वागत कर रहे थे, जिसने पहाड़ की मिट्टी से उठकर इतिहास रचा है। सम्मान पाकर झुककर चरणस्पर्श कर आशीर्वाद लेने वाली वह शख्सियत थीं- किरण रौतेला वर्मा, जिन्हें उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन का सचिव चुना गया है।
यह केवल उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है, क्योंकि किरण भारत में किसी भी राज्य की क्रिकेट एसोसिएशन की पहली महिला सचिव बनी हैं।
पहाड़ से देहरादून तक का सफर
किरण उत्तरकाशी ज़िले के दूरस्थ तुनाल्का गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता केदार सिंह रौतेला (रौतेला होटल) ने अपनी मेहनत से रोज़गार का रास्ता बनाया, जिसमें शुरुआती दिनों में किरण ने भी उनका साथ दिया। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने घर और ढाबे के काम में पिता का हाथ बंटाया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा इंटर कॉलेज नौगांव और आईटीआई बड़कोट से हुई।
क्रिकेट का विरासत से रिश्ता
आगे की पढ़ाई के लिए वे देहरादून आईं और शादी के बाद वर्मा परिवार की बहू बनीं। यह वही परिवार है जिसने उत्तराखंड में क्रिकेट को नई पहचान दी। उनके ससुर पी.सी. वर्मा को “फादर ऑफ क्रिकेट इन उत्तराखंड” कहा जाता है। पति महीम वर्मा भी एसोसिएशन के सचिव रह चुके हैं। इस तरह क्रिकेट किरण के जीवन का स्वाभाविक हिस्सा बन गया।
नई जिम्मेदारी, नया संकल्प
आज वे न सिर्फ दो बच्चों की परवरिश कर रही हैं बल्कि पूरे राज्य के क्रिकेट प्रशासन की भी बागडोर थाम चुकी हैं। उनका कहना है—
“पहाड़ों के युवाओं में खेलों की जन्मजात प्रतिभा होती है। बस उस प्रतिभा को खोजकर निखारने की ज़रूरत है। मैं पूरे समर्पण के साथ इसे ज़मीन पर उतारने का प्रयास करूंगी।”
प्रेरणा बनी रंवाई की बेटी
किरण रौतेला वर्मा का यह सफर पहाड़ की उन तमाम बेटियों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों और अभावों के बावजूद सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस रखती हैं। उम्मीद है कि किरण की अगुवाई में उत्तराखंड क्रिकेट को नई ऊंचाइयां मिलेंगी।