
नीरज उत्तराखंडी
विकास नगर. जौनसार बावर के क्यावा गांव में 1 नवंबर 1920 को जन्मे वीर शहिद केसरी चंद के जीवन पर आधारित विभिन्न घटनाओं का उत्तराखंड दूरदर्शन पर प्रसारण होगा. शहीद केसरी चंद का प्रारंभिक जीवन, पढ़ाई लिखाई एवं देश की उस समय की स्थिति और ब्रिटिश हुकूमत के जुल्मों की कहानी दूरदर्शन पर 3 मई को प्रसारित होगी.
शहीद केसरी चंद के जीवन पर आधारित विभिन्न घटनाओं के बारे में चर्चा करने के लिए दूरदर्शन पर हुए साक्षात्कार में शहीद केसरी चंद के भतीजे टी.आर शर्मा ने कहा है कि मुझे प्रारंभिक दौर की वह घटनाएं याद है जब शहीद केसरी चंद अपने पढ़ाई के साथ-साथ गांव की खेती बाड़ी के कार्य भी करते थे. उन्होंने कहा है कि ब्रिटिश हुक्मरान लोगों को बेवजह परेशान करते थे. उन घटनाओं का वह खुलकर विरोध रोध करते थे, शहीद केसरी चंद बाल्यकाल से ही निर्भिक व देशभक्त थे. उन्होंने पढ़ाई के दौरान भी अनेक ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जो ब्रिटिश सरकार के खिलाफ थी. टी.आर शर्मा ने केसरी चंद के जीवन पर आधारित अनेक घटनाओं का उल्लेख किया.
उत्तराखंड जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष मूरत राम शर्मा ने शहीद केसरी चंद पर आधारित “हिंद सिपाही” कविता के कुछ अंश प्रस्तुत किये. श्री शर्मा ने कहा कि ‘हिन्द सिपाही’ पुस्तक 1945 में सुप्रसिद्ध जन कवि मेरे पिता स्वर्गीय पंडित शिवराम जी द्वारा लिखी गई थी. इस पुस्तक पर उन्होंने केसरी चंद के बाल्यकाल, ब्रिटेनकालीन देश की स्थिति का उल्लेख किया है, और जब केसरी चंद को फांसी पर चढ़ाया गया उस समय कौन-कौन लोग उपस्थित थे. ब्रिटिश हुकूमत चाहती थी कि शहीद केसरी चंद यदि माफ़ी मांगेंगे तो वह उन्हें माफ कर देंगे परंतु केसरी चन्द ने ऐसा नहीं किया. यह तमाम वर्णन ‘हिंद सिपाही’ पुस्तक में उल्लेख गया है.
दूरदर्शन में हुए साक्षात्कार में गढ़ बैराट के संपादक भारत चौहान ने कहा कि हालांकि वीर शहीद केसरी चंद पर आधारित दूरदर्शन, आकाशवाणी में विभिन्न साक्षात्कार हुए हैं परंतु शहीद केसरी चंद के भतीजे टीआर शर्मा जो 90 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं, उनके द्वारा शहीद केसरी चंद के बारे में बहुत सारी वह जानकारियां दी जो लोगों को नहीं थी. जन कवि स्वर्गीय पंडित शिवराम द्वारा लिखित पुस्तक ‘हिंद केसरी’ के बारे में विस्तार से उनके पुत्र मूरत राम शर्मा ने चर्चा वार्ता की.
उन्होंने कहा कि दूरदर्शन के साक्षात्कार में अनेक ऐसी जानकारियां भी श्रोताओं को उपलब्ध होगी जिससे वह अभी तक अनभिज्ञ थे और युवा पीढ़ी शहीद केसरी चंद के बलिदान से प्रेरणा लेकर देश के लिए हर योगदान देने के लिए तैयार हो जिससे देश की सीमाएं व देश का सम्मान हमेशा बना रहे.