
नौगांव (उत्तरकाशी): उत्तराखंड की रवांई घाटी में लोक परंपराओं को जीवंत रखने वाला रवांई लोक महोत्सव कोरोना के लंबे अंतराल के बाद इस वर्ष भव्य रूप से लौटा। 26 से 28 दिसंबर तक तीन दिवसीय यह आयोजन होटल रॉयल पैलेस में संपन्न हुआ, जहां स्थानीय कलाकारों, बच्चों और लोक वाद्यों की धुनों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सीमित संसाधनों और कई बाधाओं के बावजूद टीम की दृढ़ता ने महोत्सव को सफल बनाया, जो रवांई की समृद्ध देव संस्कृति, संगीत और अतिथि सत्कार की परंपरा का प्रतीक बना।

महोत्सव का आयोजन 2017, 2018 और 2019 में लगातार हुआ था, लेकिन महामारी ने इसे रोक दिया। इस बार टीम रवांई लोक महोत्सव ने हौसले से पुनर्जीवन का फैसला लिया। आयोजक प्रदीप रावत रवांल्टा ने बताया कि राजनीतिक दबाव और फंड की कमी जैसी चुनौतियां आईं, लेकिन टीम ने अपनी मूल भावना को बनाए रखा।
पहले दिन: देव पूजा और बच्चों की प्रस्तुतियां
26 दिसंबर को जिला पंचायत अध्यक्ष रमेश चौहान ने उद्घाटन किया। बाबा बौखनाग, रुद्रेश्वर महादेव समेत कई देवताओं के निशाणों के साथ पूजा-अर्चना और हरियाली काटने की परंपरा निभाई गई। लोक गायक राज सावन की प्रस्तुति ने समां बांधा। दिन बच्चों को समर्पित रहा, जहां स्कूली छात्रों ने नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से कुर्सी दौड़ और क्विज प्रतियोगिताएं भी हुईं।

दूसरा दिन: लोक वाद्यों की गूंज
27 दिसंबर को पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण मुख्य अतिथि रहे। 21 ढोल, दमाऊ और रणसिंघों की सामूहिक धुन ने आयोजन स्थल को गुंजायमान कर दिया। वादकों ने ढोल सागर की देव धुनें बजाकर लोक संगीत की ताकत दिखाई। कवि सम्मेलन और देहरादून से आए मेहमानों का स्वागत रवांई की अतिथि परंपरा को दर्शाता रहा।

तीसरा दिन: सम्मान और घोषणाएं
28 दिसंबर को विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान और पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल मुख्य अतिथि रहे। रतियानंद पंवार, रुपी राणा, किशोर कुमार और संदीप कुमार की जागर प्रस्तुतियां देर शाम तक चलीं। सम्मान समारोह में अंतरराष्ट्रीय चित्रकार जगमोहन बंगाणी, रग्बी खिलाड़ी महक चौहान, पत्रकार दिनेश रावत, उद्यमी जयराज बिष्ट और डॉ. एलम सिंह भंडारी को सम्मानित किया गया। विधायक दुर्गेश्वर लाल ने 1.5 लाख और गीता राम गौड़ ने 51 हजार रुपये देने की घोषणा की।

चुनौतियां और टीम की जीत
आयोजन से पहले राजनीतिक प्रस्ताव, फंड कमी और वैकल्पिक “खेल महोत्सव” के पोस्टर से संकट खड़ा हुआ। मूल स्थल शिव मंदिर मैदान छिन गया, लेकिन टीम ने होटल रॉयल पैलेस में सफल आयोजन किया। सहयोगियों के आर्थिक और मनोबल समर्थन से महोत्सव संभव हुआ। दर्जाधारियों से जुड़े विवाद पर टीम ने संयम बरता।

प्रदीप रावत रवांल्टा ने कहा, “हम आर्थिक रूप से कमजोर हो सकते हैं, लेकिन हौसलों से मजबूत हैं। यह महोत्सव लोक विरासत को बचाने की मिसाल है।” टीम सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त करती है और अगले वर्ष और भव्य आयोजन का वादा करती है। यह महोत्सव न केवल रवांई की संस्कृति को संरक्षित करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को जड़ों से जोड़ता है।
