रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के प्रसिद्ध जाख मेले की तैयारियां शुरू हो गई हैं. आगामी 15 अप्रैल को जाख मंदिर में धधकते अंगारों पर भगवान यक्ष नृत्य कर श्रद्धालुओं की बलाएं लेंगे. जाख मेले को भव्य बनाने के लिए देवशाल स्थित विंध्यवासिनी मंदिर के प्रांगण में हक हकूकधारी एवं ब्राह्मणों द्वारा मेले की समय सारणी को लेकर पंचांग देखकर दिन तय किया गया.
15 अप्रैल को धधकते अंगारों पर पश्वा करेंगे नृत्य: रात्रि भर जागरण कर भगवान यक्ष के गुण गाए जायेंगे. 15 अप्रैल को इसी धधकते अग्निकुंड में जाख देवता पश्वा पर अवतरित होकर नंगे पांव इस अग्नि कुंड में कूद कर लोगों की बलाएं लेंगे. पर्यटक इस दृश्य को देखकर अचंभित हो जाते हैं कि पश्वा धधकते अंगारों पर नंगे पांव कैसे नृत्य करते हैं.
इसके बाद ग्राम पंचायत देवशाल की पवित्र भूमि में झूला टूट जाता है और यह पत्थर नीचे गिर जाता है. रात्रि सपने में उस पालसी को भगवान दर्शन देते हैं और इस पत्थर को वहीं पर स्थापित करके पूजन-अर्चना करने को निर्देशित करते हैं. पालसी दूसरे दिन इस भारी पत्थर को स्थापित करता है. तब से लेकर आज तक यहां पर भगवान यक्ष की पूजा की जाती है. 15 अप्रैल को नर पश्वा ढोल दमाऊ की स्वर लहरी और भगवान यक्ष के जयकारों के बीच मंदिर आयेंगे और पवित्र स्नान कर तीन बार इस धधकते अग्निकुंड में नृत्य करेंगे.
युधिष्ठिर ने दिए थे प्रश्नों के उत्तर: जब पांडव उत्तर देने में असमर्थ हो गए तो वह बेहोश हो गए. अंत में युधिष्ठिर तालाब के किनारे पहुंचे तो उन्होंने देखा कि सभी पांडव बेहोश होकर जमीन पर गिरे हैं. युधिष्ठिर ने ज्यों ही पानी पीना चाहा, तो यक्ष प्रकट हो गए. उन्होंने युधिष्ठिर से भी पांच प्रश्न किए, जिनका युधिष्ठिर ने सही जवाब दिया. तब बेहोश पांडव होश में आए. तब से लेकर आज तक यहां पर यक्ष की पूजा-अर्चना की जाती है. बताया जाता है, कि धधकते अंगारों पर नृत्य करने से पूर्व नर पश्वा को इस कुंड में जल नजर आता है.