
पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत चौथे दिन बुधवार को भी राह तकते रह गए और कांग्रेस से बुलावा नहीं आया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पार्टी में हरक सिंह की वापसी के विरोध के अपने रुख पर कायम है। हरक के एक लाख बार माफी मांगने के बयान के बाद भी उनकी नाराजगी दूर नहीं हो पाई है। पार्टी हाईकमान ने अब इस मामले में सुलह-समझौते का जिम्मा प्रदेश के नेताओं के ही जिम्मे कर दिया है। ऐसे में कांग्रेस में शामिल होने के लिए हरक को और एक-दो दिन इंतजार करना पड़ सकता है। उनकी पैरोकारी में उतरे कांग्रेसी क्षत्रप वापसी के लिए सहमति बनाने के प्रयासों में जुटे हैं। उधर, प्रदेश में कांग्रेस नेताओं को भी हरक सिंह की वापसी सुहा नहीं रही है। उन्होंने विरोध तेज कर दिया है।
हाईकमान ने हरीश रावत की नाराजगी को दी तवज्जो
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की बागडोर संभाल रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की नाराजगी को पूरी तवज्जो दी गई। हरक की वापसी को चार दिन लटकाया गया। भाजपा ने पार्टी और मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर हरक सिंह रावत को लेकर जो सख्त संदेश दिया तो कांग्रेस ने भी वापसी को लटकाकर उन्हें शर्तों के मामले में घुटने पर आने को मजबूर कर दिया है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस अब हरक सिंह के बजाय उनकी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को ही लैंसडौन से टिकट दे सकती है।
सभी तथ्यों का संज्ञान लेकर होगा पार्टी का निर्णय: हरीश रावत
बताया जा रहा है कि हरीश रावत का इस मामले में सख्त रुख बना हुआ है। चुनाव के मौके पर हरक की वापसी को आम सहमति बनाने के लिए हाईकमान ने कहा है। हरक के माफी मांगने के बाद हरीश रावत ने कहा कि उनकी अब कोई नाराजगी नहीं है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यक्ति होने के नाते वह नाराज नहीं रह सकते। साथ ही उन्होंने 2016 में 45 हजार करोड़ का बजट प्रस्तुत करने के दौरान सरकार गिराने को लेकर नाराजगी जताने में देर नहीं लगाई। उन्होंने कहा कि किसे लेना है और किसे नहीं, इस बारे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश प्रभारी को निर्णय लेना है। यह उनका विषय नहीं है। साथ ही यह भी जोड़ा कि पार्टी को सभी तथ्यों का संज्ञान लेकर ही इस बारे में फैसला लेना चाहिए।