उत्तराखंड हलचल

वित्त पोषित योजनाओं की समीक्षा को लेकर हरिद्वार पहुंचे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

वित्त पोषित योजनाओं की समीक्षा को लेकर हरिद्वार पहुंचे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

हरिद्वार : केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल सीसीआर में केंद्रीय वित्त पोषित योजनाओं की समीक्षा को पहुंचे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से विकास से कम विकसित जिलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

सरकार की पहल है कि सभी जनप्रतिनिधि चाहे वह केंद्र के हो या राज्य के उन आकांक्षी जिले को आगे बढ़ाने में योगदान देंगे। इन जिलों का कैसे उद्धार हो और सरकार की योजनाएं जन-जन तक कैसे पहुंचे इस पर जोर दिया जा रहा है। कहा कि उनका सौभाग्य है कि उन्हें हरिद्वार जिला मिला है।

इस दौरान उन्‍होंने परिसर में समाज कल्याण विभाग, सर्ग विकास समिति, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत लगाए गया स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी देखी। उन्‍होंने उत्पादों के बारे में भी जानकारी ली। इस दौरान सांसद डाक्‍टर रमेश पोखरियाल निशंक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे सीडीओ डाक्‍टर सौरभ गहरवार आदि मौजूद रहे।

केंद्रीय मंत्री ने देखी 68 एमएलडी एसटीपी की कार्यप्रणाली

दो दिवसीय दौरे के पहले दिन मंगलवार को पीयूष गोयल उत्‍तराखंड पहुंचे। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार शाम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की ओर से संचालित नमामि गंगे योजना अंतर्गत जगजीतपुर में स्थापित 68 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की कार्यप्रणाली देखी।

परियोजना प्रबंधक आरके जैन ने बताया कि 99 करोड़ लागत की यह परियोजना भारत की ऐसी पहली सीवरेज परियोजना है, जो हाइब्रिड एन्यूइटी माडल (एचएएम) पर आधारित सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) माडल है। इसके अंतर्गत निर्माण लागत का 40 प्रतिशत केंद्र जबकि 60 प्रतिशत धनराशि कांट्रेक्टर की होती है। बताया कि परियोजना पर फरवरी 2018 में काम शुरू हुआ।

जनवरी 2020 से सीवरेज जल के शोधन का कार्य शुरू हो गया। जून 2020 में कार्य पूरा होने के बाद सितंबर 2020 में पीएम मोदी ने इसका वर्चुअली लोकार्पण किया था। परियोजना प्रबंधक ने बताया कि यहां ज्वालापुर को छोड़ पूरे हरिद्वार का सीवरेज शोधन के लिए पहुंचता है। वर्तमान में 60 से 61 एमएलडी सीवरेज जल का शोधन हो रहा है। शोधन तीन चरणों में होता है।

पहले प्राइमरी चरण में सीवरेज जल से पालीथिन समेत फ्लोङ्क्षटग मैटेरियल की सफाई होती है। दूसरे चरण में बायोलाजिकल ट्रीटमेंट और तीसरे चरण में क्लोरीनेशन के बाद शोधित जल को गंगा में छोड़ा जा रहा है। केंद्रीय मंत्री प्लांट की व्यवस्थाओं से संतुष्ट दिखे।

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