हमीरपुर में है 1 हजार साल पुराना कल्पवृक्ष, यहां होती है सब की मनोकामनाएं पूरी

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यदि आप की मन वांछित इच्छाएं पूरी नहीं हो पा रही हैं तो परेशान मत हों. आप की इच्छाएं भी पूरी हो सकती हैं. बस आप को सच्चे दिल से एक वृक्ष की पूजा करनी पड़ेगी. और इस वृक्ष का का नाम है कल्प वृक्ष .बस फिर क्या अगर ये वृक्ष आप की पूजा से खुश हो गया तो आप को मन मांगी मुरादे मिल जायेंगी. प्राचीन काल से लोगो की इच्छाओं को पूरा करने वाला यह वृक्ष उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हमीरपुर जिला (Hamirpur) मुख्यालय में स्थित है. यहां बहुत दूर दूर से लोग पहुँचकर इस वृक्ष की पूजा अर्चना कर अपनी मन की मुरादों को पूरा करने के लिए आते हैं.

हमीरपुर जिला मुख्यालय के यमुना नदी किनारे स्थित इस वृक्ष की मोटाई लगभग 10 फुट और ऊँचाई करीब 30 फुट है. इस वृक्ष में बेल पत्र की तरह पांच पत्तियों का समूह होता है और खासियत यह है कि वृक्ष के तन्ने में पाँच मोड़ है और वृक्ष में प्रत्येक मोड़ पर हाथी के चेहरे की छाप उभरी हुई है. जिसे देख कर लगता है कि पांच हाथियों का झुण्ड एक वृक्ष के रूप में सिमट कर खड़ा हो गया है. वृक्ष की छल में बनी सिलवाटे भी बिलकुल हाथी की खाल की तरह है और इसका रंग भी हाथी के रंग जैसा ही है.

इस वृक्ष की आकृति को अगर गज बदनी कहा जाये तो भी गलत नहीं होगा . साल के 6 महीने पत्तों से हरा भरा और 6 माह पत्ते विहीन रहने वाले इस वृक्ष में जुलाई के दिनों सैकड़ो की संख्या में सफेद चमकदार कमल की तरह फूल रात में खिलते है और दिन में अपनी चमक खोकर गिर जाते है. अगर इसके फूल की पंखुडियों को अलग किया जाये तो जो आकृति इसके अन्दर से निकलती है वो भी कल्प वृक्ष की तरह ही होती है या ये कहे की पूरा वृक्ष का एक छोटा रूप इसके फूल के अन्दर समाहित रहता है और कुछ लोग इसे गणेश भगवान का अवतार मान कर इसकी पूजा अर्चना करते है .

1 हजार साल से भी पुराना है यह वृक्ष

पर्यावरणविद और इतिहासकार जलिज खान की माने तो हमीरपुर में स्थित यह वृक्ष लगभग 1000 साल की आयु पूरा कर चूका है .इसको सर्व प्रथम 11 वी सदी में राजस्थान के अलवर से आये राजा हमीरदेव ने पहचान था और संरक्षित किया था. इसके बाद ही हमीरदेव ने हमीरपुर स्टेट का निर्माण किया था और यही रहने लगे थे. समय के साथ उनके किले और इमारते तो यमुना नदी में समा गई, लेकिन यह कल्प वृक्ष आज भी लोगों की आस्था के रूप में जीवित है.

श्रद्धालुओ का तो यह भी मानना है कि इस वृक्ष से जहाँ सारी मनोकामनायें तो पूरी होती ही हैं वही जिन लडकियों की शादी नहीं हो रही हो वो अगर इस वृक्ष में धागा बांधे तो उन्हें निश्चित ही मन मांगा वर मिल जाता है जिसके चलते बहूत दूर-दूर से लोग आते है. वहीं इसके पास स्थित भद्र काली के मंदिर में सर झुकाना भी जरूरी माना जाता है. कहा यह भी है जाता है कि माँ काली की कृपा से यह वृक्ष सालों से यमुना नदी की भीषण बाढ़ को झेलते हुए. जस का तस बना हुआ है. वरना यमुना नदी की कटान में सालों से कई घर समाहित हो चुके है.

समुद्र मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में एक है कल्प वृक्ष

अध्यात्मवादी लोग इसे अक्षय वट भी मानते है अथार्त जिसका कभी क्षय ना हो वही अक्षय है. इनका मानना है की यह वृक्ष समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए 14 रत्नों में से एक है इसे इन्द्र द्वारा अपने इन्द्र लोक के नंदन वन में लगाया गया था. जब श्री कृष्ण की पत्नी सदभामा ने शिव पूजन की इच्छा व्यक्त की थी और कल्प वृक्ष रूद्र श्रृंगार का वर्त किया था तो कृष्ण इन्द्र से युद्ध करके इस वृक्ष को पृथ्वी पर लाये थे और तब से ही ये वृक्ष लोगों की मनोकामनाओं को पूरा कर रहा है .और इसी के चलते दूर दूर से लोग अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए यहाँ आते हैं. भारत देश में इसे देव वृक्ष का दर्जा दिया गया है यह वृक्ष पूरे देश में सिर्फ चुने हुए स्थानों में पाया जाता है.

आयुर्वेद में भी है बड़ा महत्व

अगर देखे तो यजुर्वेद और चरक संहिता में भी इस का जिक्र देखने को मिलता है कहा यह भी जाता है कि इस वृक्ष के नीचे कल्प से ही जहाँ कई बीमारियां दूर हो जाती हैं वही इसके पत्ते ,फूल और इसके छल भी कई बीमारियों के लिए राम बान साबित होती है. और विशेष कर महिलाओ की अमिट बीमारी लुकेरिया भी पूरी तरह इसकी छल के उपयोग से ख़त्म हो जाती है. जिसके चलते कई लोग यहां कल्प वाश करने को भी पहुँचते है.

लोगो की मन वांछित इच्छाये पूरी होने के चलते यह वृक्ष लोगों की आस्था का केंद्र बिंदु बना हुआ है .भारत में अंग्रेजी शासन के दौरान यातायात की सुगमता के कारण अंग्रेजो ने हमीरपुर नगर को जिले का दर्जा दे दिया पर हमीरपुर जिला अपनी कोई खास पहचान नहीं बना सका, पर कुदरत ने यहां एक अनुपम वृक्ष “कल्प वृक्ष ” उपहार स्वरूप दे दिया जो की दर्शनीय ,पावन ,दुर्लभ औषधि युक्त आध्यात्मिक साधना का प्रतीत होते हुए एक अनुपम धरोहर है जिससे आज इसकी ख्याति पूरे देश में फैल रही है.

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