चाय बागान फर्जीवाड़ा : मामले में एक और खुलासा, साढ़े चार एकड़ का खेल!

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देहरादून: चाय बागान की सीलिंग की जमीन की खरीद-फरोख्त का फर्जीवाड़ा अब भी जारी है. अब लाडपुर में चाय बागान की लगभग साढ़े चार एकड़ जमीन का फर्जीवाड़ा सामने आया है. इस जमीन को आसाम के पते पर मोती लाल अग्रवाल ने खरीदा है. अहम बात यह है कि जिस पते पर इस जमीन की रजिस्ट्री हुई है, वह पता इस मामले में विवादित भूमि मालिक संतोष अग्रवाल का भी है.

चाय बागान की जमीन का फर्जीवाड़े का खुलासा करने वाले RTI एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी का कहना है कि इस मामले के उजागर होने से साबित होता है कि भूमाफिया का गैंग अंतरराज्यीय है. उन्होंने कहा कि चाय बागान की जमीन के फर्जीवाड़े और खरीद-फरोख्त की जांच CBI के सुपुर्द करनी चाहिए.

चाय बागान की जमीन लाडपुर, रायपुर, चकरायपुर, नथनपुर, मसूरी और विकासनगर में है. आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी कि सीलिंग की जमीन को कुछ भूमाफिया अफसरों के साथ सांठगांठ कर खरीद-फरोख्त कर रहे हैं. हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन थोड़ा सतर्क हुआ. इस मामले की सुनवाई अपर जिलाधिकारी डॉ. शिव बरनवाल कर रहे हैं.

जांच के दौरान पता चला कि संतोष अग्रवाल ने अपनी मृत मां के नाम की चाय बागान की सीलिंग की जमीन की खरीद-फरोख्त की है. बल्कि पर्लव्यू होटल भी बना दिया है, जो कि पूरी तरह से अवैध है. संतोष अग्रवाल ने फर्जीवाड़ा कर 1952 की अपनी मां के नाम से रजिस्ट्री की आड़ में चकरायपुर के खसरा नंबर 203, 204 और 205 की अवैध तरीके से बेचने का प्रयास किया है. उसने सहारनपुर में कुछ लोगों के खिलाफ अपनी जमीन होने का दावा कर केस दर्ज करा दिया. जबकि यह जमीन सीलिंग की है और इस पर सरकार का हक है.

इस बीच जमीन का एक और दावेदार उमेश कुमार सामने आया और उमेश ने इसी खसरा नंबरों पर 1984 की रजिस्ट्री के आधार पर देहरादून में केस दर्ज करा दिया और इस जमीन पर अपना कब्जा बताया. एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार दोनों ने फर्जीवाड़ा किया है. दोनों का इस जमीन पर कोई अधिकार नहीं है. इसके बावजूद पुलिस ने अब तक इन दोनों को गिरफ्तार नहीं किया.

इस बीच एडवोकेट नेगी ने खुलासा किया है कि इसी गैंग ने लाडपुर में खसरा नंबर 80/3, 19 सितम्बर 1975 की रजिस्ट्री के आधार पर साढ़े चार एकड़ भूमि मोतीलाल अग्रवाल के नाम पर खरीदी. अहम बात यह है कि मोती लाल अग्रवाल के निवास का पता भी वही है जो संतोष अग्रवाल का है. दोनो ही आसाम निवासी हैं और एक ही पते पर रहते हैं. मोतीलाल ने इसी तरह से मसूरी में भी एक रजिस्ट्री चंद्रबहादुर की जमीन की कराई. सरकार ने जांच में इसे फर्जी पाया.

एडवोकेट विकेश नेगी का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में 21 जून 2022 को इसकी शिकायत एसडीएम, एडीएम और डीएम से भी की, लेकिन शासन ने इसकी जांच नहीं करवाई है. एडवोकेट विकेश नेगी ने कहा है कि चूंकि यह मामला अरबों रुपये के फर्जीवाडे का है और गैंग के तार कई राज्यों में फैले हुए हैं. ऐसे में इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए.

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