Tag: हिमालयन अरोमा

टैपिओका: गरीबों का भोजन!

टैपिओका: गरीबों का भोजन!

हिमालयन अरोमा
हिमालयन अरोमा भाग-3 मंजू काला यदि किसी पहाड़ी से यह पूछा जाय की उनकी माँ, काकी, बडी,  उपवास के दिन कौन से फल को खाकर पूरा दिन निराहारः रहतीं थीं तो सबका  यही उत्तर होगा की “तेडू़”,  यानी के टैपिओका (Tapioca).  हमारे पहाड़ में शिवरात्रि के अवसर पर तैडू़- और पके हुए कद्दू को  उबालकर  खाने की परंपरा रही है. गढ़वाल हिमालय में शिवरात्री के दिन शाकाहारी आहार और प्रसाद के तौर पर इसे विशेष रूप से ग्रहण किया जाता है.  अच्छा वर पाने के लिए पहाड़ी बनिताएं तरूड़ का फल भोले बाबा को अर्पण करती  हैं.  तरूड़ (तल्ड) एक तरह का कंद है, जिससे पहाड़ में सूखी तरकारी बनाई जाती है,  रसे वाला साग  बनता है, स्वाले बनाये जाते हैं,  रैत बनाया जाता है,  पकौड़े  बनाये जाते हैं, स्नैक्स के तौर पर भी  इसका आनंद पहाड़ी लोक के द्वारा उठाया जाता है. जंगलों में घसियारी महिलाओं के द्वारा इस फल को बोनस के रूप में घास...
हिमालयन अरोमा: चुलु की चटनी और चांदनी चौक

हिमालयन अरोमा: चुलु की चटनी और चांदनी चौक

हिमालयन अरोमा
हिमालयन अरोमा भाग-2 मंजू काला हैदराबाद की गलियों में घूमते हुए मैंने कई बार ‘डोने’ बिरयानी का स्वाद चखा है, ‘बिरडोने’ बिरयानी दक्षिण भारत की एक प्रसिद्ध बिरयानी रेसिपी है। यहां डोने बिरयानी में डोने शब्द का इस्तेमाल किया गया है। डोने एक कटोरी के आकार का पात्र होता है जिसे पत्तों से तैयार किया जाता है। यह रेसिपी थोड़ी सिंपल होती है, हैदराबादी बिरयानी की तरह इसमें ज्यादा मसाले का उपयोग नहीं किया जाता है, इस रेसिपी को दक्षिण भारत में खास तरह के चावल से तैयार किया जाता है जिसे सीरागा सांबा चावल कहा जाता है। यह सांबा चावल एक तरह का चावल ही है लेकिन यह आकार में छोटा होता है और इसमें एक खास तरह का फ्लेवर होता है। इसके साथ ही इस रेसिपी में पुदीना के पत्ते के साथ मैरीनेट किए हुआ बकरी का मीट इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह से तैयार की गई इस खास बिरयानी को पत्तों से तैयार किए गए दोनों में परो...
हिमालयन अरोमा: हिमालयी  ग्वैरिल उर्फ कचनार 

हिमालयन अरोमा: हिमालयी  ग्वैरिल उर्फ कचनार 

हिमालयन अरोमा
हिमालयन अरोमा भाग-1 मंजू काला बासंती  दोपहरियों में हिमालय के because आंगन में विचरण करते  हुए  मैं  अक्सर दुपहरी  हवाओं के साथ अठखेलियाँ  करते कचनार के  पुष्पों को निहारती हूँ! जब मधुऋतु का यह मनहर पुष्प पतझड़ में  हिमवंत को सारे पत्ते न्योछावर कर नूतन किसलयों की परवाह किए बगैर वसंतागमन के पूर्व ही खिलखिल हँसने लगता है-  तब मै भी सकुन से अपनी  चेहरे पर घिर आयी शरारती अलकों को संवार कर चाय की चुस्कियां लेने लगती हूँ! ज्योतिष हिमवन में एकबारगी इसका खिलखिलाना किसी को नागवार भले लगे, किंतु यह मनभावन पुष्प अपने कर्तव्य को निभाकर मन को प्रफुल्लित कर ही देता है. दूसरी ओर, अन्य पुष्पों को भी खिलने को प्रेरित करता है. इस प्रकार, सबको प्रमुदित कर अपना अनुसरण करने को मानो बाध्य कर देता है. वसंत के इस संदेशवाहक को सबसे पहले हुलसित देखकर किस   मानुष का  because ह्रदय-कमल नहीं खिल उठता! अपन...
आखिर क्या है “हिमालयन अरोमा”!

आखिर क्या है “हिमालयन अरोमा”!

सेहत
हिमांतर.कॉम (himantar.com) पर ‘हिमालयन अरोमा’ नामक एक पूरी सीरिज जल्द ही… भारत एक विविध देश है because और कई संस्कृतियों, धर्मों और व्यंजनों का घर है. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध हर व्यंजन एक दूसरे से अलग है और इसकी अलग-अलग विशेषताएं हैं. भारतीय व्यंजनों में से प्रत्येक को वर्षों से सावधानीपूर्वक विकसित किया गया है और रसोइयों के स्थान और इलाके सहित कई कारक भोजन की विशिष्टता और विशिष्टता को दर्शाते हैं. ज्योतिष इसका सबसे अच्छा उदाहरण because 'हिमालयी' व्यंजन है. यदि हम हिमाचल प्रदेश के अत्यंत गंभीर और चरम मौसम को ध्यान में रखते हैं, तो हम समझ सकते हैं कि 'हिमालयी' व्यंजन कितने अलग हैं और कितने खास हैं. यहां सबसे लोकप्रिय लेकिन व्यापक रूप से मनाए जाने वाले 'हिमालयी' व्यंजनों के बारे में कुछ प्रसिद्ध तथ्य हैं. ज्योतिष क्या आपने कभी हिमालयन भोजन का स्वाद चखा है और सोचा है...