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‘धर्म’ की सामाजिक विकृतियों से संवाद करते आए हैं कृष्ण

‘धर्म’ की सामाजिक विकृतियों से संवाद करते आए हैं कृष्ण

लोक पर्व-त्योहार
गीता का कालजयी चिंतन-1 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व समूचे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. द्वापर युग में कंस के अत्याचार और आतंक से मुक्ति दिलाने तथा धर्म की पुनर्स्थापना के लिए इसी दिन विष्णु के आठवें अवतार के रूप में भगवान् कृष्ण ने जन्म लिया था. गीता में भगवान् कृष्ण का कथन है कि "जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म की वृद्धि होती है तो मैं धर्म की स्थापना के लिए हर युग में अवतार लेता हूं- “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत. अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्.. परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् . धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे.."            -श्रीमद्भगवद्गीता‚ 4.7-8   गीता के परिप्रेक्ष्य में अवतार की अवधारणा यहां सज्जन के संरक्षण और दुर्जन के ...