वैदिक संस्कृति का अनुपालन ही पर्यावरण संरक्षण का सर्वोत्तम विकल्प है
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर विशेष
भुवन चंद्र पंत
पूरा विश्व आज पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है, इसमें दो राय नहीं कि इस समस्या के पीछे हमारी अतिभोगवादी मनोवृत्ति रही है. अति का इति निश्चित है. ’ईट, ड्रिंक एण्ड बी because मैरी’ का विचार पश्चिम की देन है, हमारी विचारधारा तो वैदिक काल से लेकर महात्मा गान्धी तक अपरिग्रह की पोषक रही है. उन्होंने भोग में सुख तलाशा है, तो सनातन संस्कृति ने त्याग में वास्तविक सुख को प्रमुखता दी है. मुझे यह कहने में तनिक भी संकोच नहीं कि आज की पर्यावरण की समस्या के लिए पश्चिम की भोगवादी संस्कृति उत्तरदायी है, लेकिन दुर्भाग्य है कि आज हम उसी संस्कृति का अनुकरण कर और तथाकथित आधुनिक बनकर स्वयं को भी मुसीबत की ओर धकेल रहे हैं.
नैनीताल
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