सीतलू नाणसेऊ- खाटा ‘खशिया’ फकीरा सिहं चौहान स्नेही रुक जाओ! हक्कु, इन बेजुबान जानवरों को इतनी क्रूरता से मत मारो. सीतलू हांफ्ता-हांफ्ता हक्कु के नजदीक पहुंचा. मगर हक्कु के आंखो पर तो दुष्टता सवार थी. हक्कु भेड़ों तथा उनके नादान बच्चों पर ताबड़तोड़ काथ के छिठे (डंडे) बरसा रहा था.
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