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‘लोखंडी’ मतलब पर्यटकों का ‘स्वर्ग’

‘लोखंडी’ मतलब पर्यटकों का ‘स्वर्ग’

पर्यटन
भारत चौहान चकराता से 20 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से लगभग 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लोखंडी दो पर्वतों के बीच की एक घाटी है. जो दो जंगलों को आपस में जोड़ती है- बुधेर जंगल और देवबन जंगल. यह स्थान प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत सुंदर है. यहां से हिमाचल के सिरमौर क्षेत्र के दर्शन आसानी से होते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां  पारियों (आछरियों) का वास होता है. जिनको 'अगाशी देवी' अर्थात् आकाश की देवी और 'वन देवी' के नाम से भी जाना जाता है. स्थानीय बुजुर्गों का मानना है कि जहां देवियां वास करती है वह स्थान अत्यंत पवित्र रहना चाहिए, वहां किसी प्रकार की गंदगी या ऊंची आवाज में चिल्लाना खतरे से खाली नहीं होता है. अर्थात देवी उस आदमी पर प्रकट हो जाती है और वह तरह-तरह के कृत्य और नृत्य करने लग जाता है. (इसलिए पर्यटकों से विशेष आग्रह रहता हैं कि इस प्रकार के पवित्र स्थान पर किसी प्रकार का शोरगुल अथवा गं...