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इसे कहते हैं गुड पुलिसिंग, एक ही दिन के दो अनुभव…

इसे कहते हैं गुड पुलिसिंग, एक ही दिन के दो अनुभव…

उत्तराखंड हलचल
 मेरी बात  जब भी आप सरकारी दफ्तर में जाते हैं…अक्सर वहां दो तरह के लोग होते हैं। पहला वो जो आपको काम करने के कई तरीके बता देंगे, लेकिन खुद काम नहीं करेंगे। दूसरे वो लोग होते हैं, जो सबसे पहले यह तय करते हैं कि काम करना है। उनकी सोच काम करने की होती है। जब भी हम काम करते हैं, उसका परिणाम जरूर कुछ ना कुछ आता है। इसलिए जब भी ऐसा हो, तय कीजिए कि आप कुछ करेंगे…भटकाएंगे नहीं। कल मेरे साथ कुछ ऐसा ही हुआ। मैं डीडी न्यूज (दूरदर्शन समाचार) की अपनी ड्यूटी पर था। किसी नंबर से फोन आया। दूसरी तरफ मेरी पत्नी थीं। उन्होंने सबसे पहले कहा कि फोन खो गया। बहरहाल मैंने एक बजे का बुलेटिन निपटाया और फोन खोजने निकल गया। सबसे पहले बाइपास चौकी में गया। क्योंकि वह रस्ते में ही पड़ती है। वहां मुझे ऊपर बताया गया पहला वाला तरीका बताया गया कि अप्लीकेशन दे दो दिखावा देंगे। जबकि, जो फोन खोया था, वो लगातार चालू था। ...