Tag: पथरीली पगडंडियों पर

नहीं रहे हिमालय पर्यावरणविद् भूवैज्ञानिक प्रो. वल्दिया

नहीं रहे हिमालय पर्यावरणविद् भूवैज्ञानिक प्रो. वल्दिया

स्मृति-शेष
डॉ. मोहन चंद तिवारी अत्यंत दुःखद समाचार है कि हिमालय पर्यावरणविद् अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भूवैज्ञानिक पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित प्रोफेसर खड्ग सिंह वल्दिया का 83 साल की उम्र में कल 29 सितंबर को निधन हो गया.वे इन दिनों बेंगलुरु में थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे.प्रो.वल्दिया उत्तराखंड के पिथौरागढ़ सीमांत जिले आठगांव शिलिंग के देवदार (खैनालगांव) के मूल निवासी थे. वह कुमाऊं विवि के कुलपति भी रहे थे. पिथौरागढ़ सन्त 2015 में भूगर्भ वैज्ञानिक because प्रो.के.एस. वल्दिया को भूगर्भ क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर पद्म भूषण सम्मान मिला था.इससे पहले 2007 में उन्हें भूविज्ञान और पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए पद्मश्री सम्मान मिला था. प्रो.वल्दिया भू वैज्ञानिक होने के साथ साथ कवि और लेखक भी थे. प्रो.वल्दिया ने कुल चौदह पुस्तकें लिखी, जिनमें मुख्य पुस्तकें हैं ...
‘पत्थरों का उपासक, प्रकृति का पुजारी’

‘पत्थरों का उपासक, प्रकृति का पुजारी’

पुस्तक-समीक्षा
डॉ. अरुण कुकसाल ‘सबकी अपनी जीवन कहानी होती है और सबका अपना संघर्ष होता है, सबके अपने सौभाग्य और सफलताएं होती हैं, तो अवरोध और असफलताएं भी. फिर भी हर जीवन अपने जमाने से प्रभावित होता है. अनेक जीवन अपने जमाने को जानने और बनाने में बीत जाते हैं और उनके जीवन को जमाना यों ही सोख लेता है... ऐसा ही इन पन्नों में एक सामान्य सा पर असाधारण जीवन पसरा है. कितना तो गुम भी गया होगा, पर जितना आ सका है पठनीय है और प्रेरक भी... किसी आत्मकथा को पढ़ना उस व्यक्ति को जानने-समझने के साथ उसके अन्तःमन में छिपे-दुबके अनेकों व्यक्तियों को जानना-समझना भी होता है. व्यक्ति जो दिखता है और व्यक्ति जो होता है, में एक छोटा-लम्बा जैसा भी हो पर फासला होता है. यही फासला व्यक्ति के सुख-दुःख और सफलता-असफलता का कारक भी है. आत्मकथा की शब्द-यात्रा पाठक को इन्हीं कारकों और उनसे उपजे व्यक्तित्वों से परिचय कराती है.  बहरा...