इतिहास के पन्नों से आज भी गायब हैं उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत के कुछ मेले
हरियाली पर्व के उपलक्ष्य में लगने वाला नगदूण कीजातर/
जातोर (मेला) (जखोल गांव नगदूण का मेला)
चैन सिंह रावत
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सुदूरवर्ती विकास खंड मोरी के जखोल गांव में सावन महीने की संक्रांति 15-16 अगस्त के मध्य मनाए जाने वाला एक प्राचीन औषधीय मेला नगदूण मेले के नाम से जाना जाता है, इस मेले का आयोजन पंजगायींपट्टी के आठ गांव जखोल, धारा,सावनी, सटुडी, सुनकुण्डी सिरगा पाँवतल्ला पाँवमल्ला एवं बाहर से आए हुए आगंतुक जो कि सावन महीने में अपनी बहनों की ढोकरी/कंडी (मायके पक्ष से बेटी के ससुराल में लिया जाना वाला यादगार खाद्य सामग्री) लेकर आते हैं इस मेले के एक दिन पहले ही आ जाते हैं तथा मेले में सम्मिलित होते हैं.
नगदूण मेले का आयोजन 1 दिन पहले 8 गांव के लोगों एवं बाहर से आए आगंतुक गण नगदूण के लिए जंगल की छनियों मे (जहां पशुचारक अल्पकाल के लिए निवास करते हैं) अपने साथ प्राथम...