ढाई दिन के झोंपड़े की तरह ढाई दिन का प्यार!
घट यानी पनचक्की (घराट) डॉ. हरेन्द्र सिंह असवाल पिछली सदी की बात है. उनके लिए जिन्होंने ये देखा नहीं, लेकिन हमारे लिए तो जैसे कल की बात है कि हम रविवार को पीठ में तीस पैंतीस किलो गेहूं, जौ लादकर घट जा रहे हैं. दूर से ही देख रहा हूँ जैसे घट का पानी टूटा […]
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