कौओं को विशेष व्यंजन खिलाने का अनोखा त्यौहार
नीलम पांडेय नील, देहरादून
आ कौवा आ, घुघुती कौ बड़ खै जा
मैकेणी म्येर इजैकी की खबर दी जा.
आ कौवा आ, घुघुती कौ बड़ ली जा
मैकेणी म्येर घर गौं की खबर दी जा.
आ कौवा,अपण दगड़ी और लै पंछी ल्या,
सबुकैं घुघुती त्यारै की खबर दी आ.
इस बार घुघुती के प्रचलित गीत को एक नए सुर में गाना चाहती हूं, मेरी उम्र के असंख्य बच्चे जो आज खाने कमाने की दौड़ में बड़े - बड़े महानगरों में व्यस्त हो गए हैं, और व्यस्क होकर जीवन की ढलान में बढ़ रहे हैं, वे इन त्योहारों की आहट पर अपने देश, गांव लौट जाना चाहते हैं. जैसे पक्षी लौट आते हैं दूरदराज से वापस अपने देश.
घुघुती के त्योहार के दिन हम महानगरों में किसी चिड़िया को खोजने लगते हैं. कौवे को बुलाने की कोशिश करते हैं....पर वे नही दिख रहे हैं. जब हम छोटे थे ....आज के दिन असंख्य कौवे घर के आसपास घूमने लगते थे और घर की मुंडेर, आंगन में घुघुती बड़े रखते ही फुर्र से उठ...