कोरोना और हमारा दायित्व
प्रो. गिरीश्वर मिश्र
आजकल नए-नए अकल्पनीय दृश्यों के साथ हर दिन का पटाक्षेप हो रहा है. कोरोना पीड़ितों की बेशुमार होती संख्या के साथ मृत्यु का अनियंत्रित तांडव खौफनाक होता जा रहा है. इसका व्यापक अस्तित्व किसी के बस में नहीं है पर इसके समाधान के लिए जो करणीय है उसको देख सुन कर यही लगता है कि हम वह सब ठीक ढंग से नहीं कर पा रहे हैं जो इस दौरान जरूरी था. इस बीच हमने बहुतों को खो दिया. यह सब तब हुआ जब स्पेन, इटली, ब्राजील because और अमेरिका जैसे देशों के खौफनाक मंजर सारी दुनिया के सामने थे, चिकित्सा विज्ञान के शोध अनुसंधान के परिणाम भी थे और भारत की तैयारी की जानकारी क्या है यह भी मालूम थी. यह जरूर है कि स्थिति की भयानकता का शायद अच्छी तरह पूर्वानुमान नहीं लगाया गया था.
आज बढ़ते तनाव और दबाव के माहौल में जब आर्थिक संसाधन भी सिमटते जा रहे हैं, बेरोजगारी और मंहगाई बढ़ती जा रही है आम आदमी ...