
अज्ञेय : वैचारिक स्वातंत्र्य और प्रयोगशीलता के पुरस्कर्ता
अज्ञेय के जन्म-दिवस (7 March) पर विशेष
प्रो. गिरीश्वर मिश्र
बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में जिन मेधाओं ने भारतीय विचार जगत को समृद्ध करते हुए यहाँ के मानस के निर्माण में महत्वपूर्ण निभाई उनमें कवि, लेखक और पत्रकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (1911-1987) की उपस्थिति विशिष्ट है। विलक्षण और कई दृष्टियों से सम्पन्न, स्वतंत्र विचार और स्वायत्त जीवन के लिए कटिबद्ध अज्ञेय एक विरल व्यक्तित्व थे जिंहोने खुद अपना आविष्कार किया था। उन्होंने सोच कर, लिख कर और जी कर आत्म-चेतस व्यक्तित्व का परिचय दिया था। अपने रचना कर्म से उन्होंने यह स्थापित किया कि आधुनिक होना सिर्फ़ अपने को नकार कर या जो है उससे भिन्न कुछ और हो कर ही नहीं सम्भव है बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ कर भी होता है। भारतीय आधुनिकता कुछ ऐसे ही आत्म-परिष्कार से जुड़ी होती है। वैसे भी परम्परा जड़ नहीं होती। उसमें प्रवाह भी होता है और उसक...