शिवसेना केस में सुप्रीम कोर्ट एक अगस्त को फिर करेगा सुनवाई

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महाराष्ट्र (Maharashtra) में सियासी संकट अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई है. इस दौरान उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल और शिंदे गुट की ओर से वकील हरीश साल्वे ने दलीलें पेश कींं. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमण ने संकेत दिया है कि इस मामले की सुनवाई बड़ी पीठ को दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में उद्धव गुट के वकीलों ने सीजेआई के इस विचार पर सहमति जताई कि मामला संविधान पीठ को भेज दिया जाए. सीजेआई ने कहा कि हम मामला बड़ी पीठ को भेजने का आदेश नहीं दे रहे. बस विचार कर रहे हैं. अब इस मामले की सुनवाई 1 अगस्त को की जाएगी. साथ ही सभी पक्षों से हलफनामा भी मांगा गया है. दोनों पक्षों को ये भी लिखकर देना है कि वे किन बिंदुओं पर सुनवाई चाहते हैं. कोर्ट ने विधानसभा के रिकॉर्ड को संरक्षित रखने को भी कहा है.

हरीश साल्वे ने इस दौरान कहा कि वह उद्धव गुट की ओर से दायर याचिकाओं पर हलफनामा दाखिल करना चाहते हैं. ऐसे में उसके लिए उन्हें एक सप्ताह का समय दिया जाए. इस पर सीजेआई एनवी रमण ने सहमति जताई की याचिकाओं के जवाब में हलफनामा दाखिल करें. साल्वे ने इस दौरान कहा है कि अब अयोग्यता की कार्यवाही लागू नहीं होती. अयोग्यता की कार्यवाही पूरे लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है. जो तत्कालीन स्पीकर ने तब शुरू की थी. जबकी विधायकों ने उसको हटाने का अविश्वास प्रस्ताव दिया था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नई याचिका भी दायर हुई है, जो हमें नहीं मिली है.

सुप्रीम कोर्ट ने साल्वे से कहा कि ये राजनीतिक संवेदनशील केस है, सवाल है कि अगर स्प्लिट नहीं हुआ है तो इसका क्या प्रभाव हुआ है? इस पर साल्वे ने कहा कि इसमें अयोग्यता का मामला नहीं है. एक आदमी जो अपने समर्थन में 20 लोग भी नहीं कर सकता, वो कोर्ट से राहत की उम्मीद कर रहा है. कपिल सिब्बल ने इस दौरान सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर यह केस मंजूर किया जाता है तो देश में हर चुनी हुई सरकार के गिराए जाने का खतरा बढ़ जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे ग्रुप और उद्धव ठाकरे ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी. इसके बाद राज्यपाल की तरफ से एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिया कि कर्रवाई नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के राजनीतिक उथल पुथल से संबंधित मुद्दों को उठाने वाली याचिकाओं के समूह में कई संवैधानिक प्रश्न उठते हैं. इसके कारण सरकार बदल गई. याचिकाओं को 5 न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सुनवाई की आवश्यकता हो सकती है.

उद्धव ठाकरे गुट की ओर से सिब्बल ने पेश की दलीलें

कपिल सिब्बल ने उद्धव गुट की ओर से दलील पेश करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकारों को गिराया जाएगा तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. सिब्बल ने कहा कि दसवीं अनुसूची में उस राजनीतिक दल के सदस्यों को किसी तरह की छूट नहीं है जो अचानक किसी कारण अलग होते हैं. इस तरह की परंपरा की शुरुआत किसी भी तरह से अच्छी नही है. न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि देश में कही भी.

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