हर्षिल घाटी में सुक्की टाप क्षेत्र में राज्य पक्षी मोनाल ट्रैक की संभावनाएं

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उत्तरकाशी : उच्च हिमालयी क्षेत्र में आने वाली हर्षिल घाटी की वादियां भी वर्ष भर खास किस्म के परिदों से गुलजार रहती हैं। तीन हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सुक्की टाप क्षेत्र में राज्य पक्षी मोनाल ट्रैक की संभावनाएं हैं। साथ ही साथ ही आसपास की वादियां परिदों की चहचहाहट व उनकी सुंदरता भरी हुई हैं। इसी सुंदरता को सिक्योर हिमालय के तहत बर्ड वाचिग पर्यटन के रूप में पंख फैलाने की तैयारी में है। शीतकाल में बर्ड वाचिग को प्रोत्साहित करने के लिए देश के प्रसिद्ध बर्ड वाचर हर्षिल घाटी में पहुंचे हैं।

तितली फाउंडेशन के संजय सोंधी, प्रसिद्ध बर्ड वाचर डा. रमना अथरया, नेचर गाइड केशर सिंह, कमलेश गुरुरानी, हर्षिल ईको पर्यटन समिति के अध्यक्ष माधवेंद्र रावत सहित सुक्की गांव के युवाओं ने बर्ड वाचिग ट्रैकिग शुरू की। सुक्की गांव से थुनेर के जंगल होते हुए करीब चार किलोमीटर क्षेत्र में बर्ड वाचिग की संभावनाएं तलाशी। इसी दौरान 40 से अधिक प्रकार के पक्षियों की पहचान की गई। इस दौरान राज्य पक्षी मोनाल का भी दीदार किया। सुक्की निवासी स्थानीय युवाओं में शामिल सौरभ, मनीष और दुर्गेश ने बर्ड वाचरों को बताया कि सुक्की गांव से लेकर कंडारा टाप तक राज्य पक्षी मोनाल की भरमार है। सुबह और शाम के समय मोनाल के झुंड आसानी से दिख जाते हैं। बर्ड वाचरों ने सुक्की से कंडारा तक मोनाल ट्रैक बनाने का भी सुझाव दिया, जिससे वर्ष भर स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल सके।

तितली फाउंडेशन के संजय सोंधी ने बताया कि उन्होंने भटवाड़ी के निकट बार्सू गांव में बर्ड वाचिग की संभावनाएं तलाशी हैं। वहां भी काफी संख्या में चिड़ियां दिखी हैं। सोमवार को उनकी टीम ने सुक्की क्षेत्र में बर्ड वाचिग की संभावनाएं तलाशी, जबकि मंगलवार को हर्षिल और बुधवार को भैरव घाटी, छोलमी आदि स्थानों पर मिलने वाली पक्षियों की प्रजाति को चिह्नित करना है।

हर्षिल ईको पर्यटन समिति के अध्यक्ष माधवेंद्र रावत ने बताया कि हर्षिल घाटी में आजीविका की अपार संभावनाएं हैं, जिनको इस प्रकार के आयोजनों से बढ़ावा दिया जा रहा है। स्थानीय युवा बर्ड वाचर गाइड का कौशल हासिल कर पर्यटकों को इसका अनुभव प्रदान कर सकते हैं।

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