यूपी में होगा पुरोहित कल्याण बोर्ड का गठन, सीएम योगी ने दी मंजूरी 

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यूपी में दोबारा सत्ता में वापसी करने वाली बीजेपी ने पुरोहितों-संतों के लिए कल्याण बोर्ड का गठन करने का फैसला किया है. धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रेजेंटेशन में इस प्रस्ताव को रखा गया था, जिसकी सीएम की मंजूरी मिलने के बाद औपचारिक रूप से घोषणा कर दी गई है. यूपी ऐसा पहला राज्य होगा जहां धर्म क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए अलग से कल्याण बोर्ड होगा. जिससे उन्हें स्वास्थ्य, बीमा और मूलभूत सुविधाएं दी जा सकें. इसकी मांग लम्बे समय से की जाती रही है और पार्टी के धार्मिक एजेंडे के लिए भी ये फैसला महत्वपूर्ण है. पार्टी के कल्याण संकल्प पत्र में भी इसे शामिल किया गया था.

पुरोहित कल्याण बोर्ड से इन्हें लाभ
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में पुरोहित कल्याण बोर्ड का गठन किया है. पहले कार्यकाल में अयोध्या में मंदिर और काशी विश्वनाथ कोरिडोर के निर्माण को लेकर काम करने वाली योगी सरकार का दूसरे कार्यकाल में ये पहला फैसला है जो धार्मिक क्षेत्र के लिए खास है. पुरोहितों के लिए कल्याण बोर्ड का वादा बीजेपी ने चुनाव से पहले अपने संकल्प पत्र में भी किया था. धर्मार्थ कार्य विभाग का प्रेजेंटेशन देखने के बाद खुद सीएम योगी ने इस बात का संदेश दिया कि इन कार्यों से ‘नए भारत का नया उत्तर प्रदेश’ बनने की राह आसान होगी. योगी ने कैबिनेट के साथ धर्मार्थ कार्य, पर्यटन, संस्कृति व भाषा विभागों की कार्ययोजना प्रजेंटेशन देखने के बाद पुरोहित कल्याण बोर्ड के गठन को मंजूरी दी.

बोर्ड में सदस्यों की संख्या तय नहीं

पुरोहित कल्याण बोर्ड में अर्चकों, मंदिर के पुजारियों, पुरोहितोंन (कर्मकांड करने वाले पंडितों) और वृद्ध संतों (मठों और आश्रम में निवास करने वाले संतों) के लिए स्वास्थ्य, बीमा जैसी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी, जो सरकार की योजनाएं हैं उनका लाभ ऐसे लोगों को मिल सके. इसके लिए कल्याण बोर्ड काम करेगा. साथ ही उनको बेहतर जीवन देने के लिए भी प्रयास होगा. बोर्ड में कितने सदस्य होंगे ये अभी तय होना है लेकिन इसमें सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा धार्मिक क्षेत्र से भी प्रतिनिधि शामिल किए जाएंगे.

लंबे समय से हो रही थी मांग

अखिल भारतीय संत समिति ने इस कदम की सराहना की है. संत समिति का कहना है कि वो लम्बे समय से इसकी मांग कर रही थी. इस मांग पर विचार कर बोर्ड के गठन को मंज़ूरी देकर मुख्यमंत्री ने सराहनीय पहल की है. अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि पुरोहित कल्याण बोर्ड के गठन से आश्रम और मठों में रह रहे साधु संतों और पुरोहितों को लाभ होगा. धर्म के क्षेत्र में अपना जीवन लगाने वाले संतों के लिए ह्यूमन राइट्स (human rights) की दृष्टि से भी ये होना चाहिए था.

एक पक्ष ये भी है कि संस्कृत पढ़ने, कर्मकांड कराने वाले पुरोहितों और विद्यार्थियों में भी धर्म क्षेत्र में कार्य के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. कोरोना काल में मंदिरों के बंद होने और कर्मकांड बंद होने से पुरोहित और मठों, आश्रमों में रहने वाले संत बदहाल थे. जितेंद्रानंद सरस्वती कहते हैं कि कई राज्यों में मौलानाओं को 25 हजार रुपये तक की राशि मिलती है लेकिन छोटे मंदिर के पुजारी और पुरोहितों की कोई सुध कोई नहीं लेता.

पहले कार्यकाल में भी हुए कई आयोजन

सीएम योगी आदित्यनाथ इस बात को कह चुके हैं कि समाज के हर वर्ग के लिए व्यवस्था बनाने की कोशिश यूपी में की जा रही है. पिछले कार्यकाल में श्रीकाशी विश्वनाथ कोरिडोर निर्माण किया गया. अयोध्या दीपोत्सव से लेकर मथुरा में ब्रज रंगोत्सव, काशी की देव-दीपावली तक की छटा वैश्विक स्तर पर देखने को मिली. इन सभी में खुद मुख्यमंत्री ने रुचि लेकर लगातार समीक्षा बैठकें की. इसके अलावा विंध्य धाम कॉरिडोर, नैमिष तीर्थ, शुक तीर्थ पुनरोद्धार, मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 100 साल बाद वापिस प्रतिष्ठापित होना, सोरों-सूकरक्षेत्र विकास जैसे प्रयास भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने के लिए किए गए. वहीं बीजेपी का भगवा एजेंडे में भी इससे मदद मिली. इस समय धार्मिक जुलूस और शोभायात्रा को लेकर सख़्त नियमों के निर्देश हैं तो वहीं पुरोहित कल्याण बोर्ड के गठन से संत समाज को एक संदेश देने की कोशिश भी है.

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