उत्तराखंड हलचल

प्रॉपर्टी डीलर ने फर्जी मूल निवास प्रमाण से भूमि खरीदकर 300 प्लाट बेचे

प्रॉपर्टी डीलर ने फर्जी मूल निवास प्रमाण से भूमि खरीदकर 300 प्लाट बेचे

रुद्रपुर : नोटिस के खेल में कृषि भूमि पर तीन सौ रजिस्ट्रियां कर दी गईं। कालोनाइजर ने स्वयं को उत्तराखंड का मूल निवासी बता कई कालोनियां भी काट दी हैं। जांच में मूल निवास फर्जी पाया गया है। सेटिंग-गेटिंग के खेल में अधिकारी अन्जान बने हुए थे। जब एक व्यक्ति ने शिकायत की तो जिला प्रशासन ने जांच बैठा दी है।

वहीं, कालोनियां काट रहे ऐसे कई कालोनाइजर स्वयं को यहां का मूल निवासी बता रहे हैं। यदि कालोनाइजरों की जांच हुई तो कई लोग फंस सकते हैं। वहीं, डीएम ने एसडीएम रुद्रपुर को मामले की जांच सौंप दी है।

काशीपुर रोड स्थित एक व्यक्ति ने जिला प्रशासन को शिकायती पत्र देकर बताया कि कालोनाइजर ने काशीपुर नगर निगम में स्वयं को मूल निवासी बता रुद्रपुर के कोठा में तीन सौ रजिस्ट्रियां कर दी हैं।

रजिस्ट्री के समय से विक्रेता को 12 नवंबर, 2003 के पहले का मूल निवास प्रमाण पत्र लगाना अनिवार्य होता है, मगर रजिस्ट्री के समय से सिर्फ मूल निवास की प्रतिलिपि ही दिखाई गई है। शिकायत कर्ता ने चेताया है कि यदि कालोनाइजर के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई तो वह हाई कोर्ट की शरण लेंगे।

वहीं, जांच में पाया गया है कि कालोनाइजर ने काशीपुर नगर निगम में फर्जी मूल निवास प्रमाण दिखाया है। बाहरी व्यक्ति उत्तराखंड में सिर्फ 250 वर्ग मीटर जमीन खरीद सकता है। जबकि कालोनाइजर ने कोठा व उसके आसपास कृषि भूमि खरीदकर तीन सौ प्लाट बेच उनकी रजिस्ट्रियां कर दी हैं। कालोनियों का नक्शा भी विकास प्राधिकरण से भी पास नहीं है।

जिला विकास प्राधिकरण ने उपनिबंधक कार्यालय को पत्र भेज रजिस्ट्री पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। जबकि उपनिबंधक का कहना है कि यदि क्रेता-विक्रेता कागजात दिखाते हैं तो रजिस्ट्री रोकने का अधिकार उनके पास नहीं है। वहीं, जांच टीम गठित होने पर इस खेल में शामिल लोगों में खलबली मची है। इस खेल में पटवारियों की अहम भूमिका है। कृषि भूमि पर बिना नक्शा पास के ही कालोनियां काटी जा रही हैं, मगर पटवारी ने इसकी रिपोर्ट प्रशासन को नहीं दी।

सहायक आयुक्त स्टाप सुधांशु कुमार त्रिपाठी ने बताया कि रजिस्ट्री जो भी होती है, उसका जितना स्टांप शुल्क बनता है, उसे ले लिया जाता है। बाकी स्टांप विभाग का इसमें कोई रोल नहीं है।

सहायक उपनिबंधक अविनाश कुमार ने कहा कि नियम के तहत रजिस्ट्री कराई जाती है। क्रेता-विक्रेता का कागजात चेक किया जाता है। सही पाए जाने पर रजिस्ट्री होती है। इस मामले की जांच की जा रही है।

Share this:
About Author

Web Desk

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *