‘स्वरोजगार की पहल’
इसके तहत हम चाहते हैं कि पहाड़ों में जो भी एकल या सामूहिक रूप से रोजगार सृजित कर रहे हैं उनकी यात्रा लोगों के सामने आए. ताकि अन्य लोग उनसे प्रेरित होकर इस दिशा में कार्य करने के बारे में अग्रसर हों. इस संदर्भ में आलेख भेजने में निम्न बातों को शामिल करना आवश्यक है-
- आप इसे रिपोर्टिंग/आलेख/इंटरव्यू किसी भी विधा में लिख सकते हैं.
- महिलाओं के द्वारा चलाए जा रहे “स्वयं सहायता समूह”को केन्द्र में रखा जा सकता है. साथ ही अन्य जो भी स्वरोजगार के कार्य पहाड़ में हो रहे हैं उन पर लिखा जा सकता है.
- स्वरोजगार का आईडिया कहाँ से आया.
- काम कितने लोगों और संसाधनों के साथ आरम्भ किया.
- आर्थिक रूप से कितना खर्च लगा.
- ग्राम सभा और सरकार के स्तर पर क्या मदद ली गई है.
- बाजार तक उत्पाद को पहुंचाना कैसे संभव हुआ.
- कितना समय हो गया है. क्या किसी को रोजगार भी दिया है. सबके बाद कितनी बचत कर लेते हैं.
- नए लोग शुरू करना चाहते हैं तो उन्हें किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए और आप कैसे मदद कर सकते हो.
- समूह या व्यक्ति की तस्वीर के साथ उनके उत्पादों की तस्वीर.
- उस इलाके की भौगोलिक स्थिति की जानकारी.
- इन बातों को लेख में शामिल करना अनिवार्य है.
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‘लोक के गुमनाम साधक’
ये आगे चलते हुए पीछे मुड़ कर देखने जैसा है। ये उनको सामने लाने की कोशिश है जो गुमनाम रहे। वो हमारे आस-पास थे लेकिन उनको जानने का प्रयास ही बहुत कम हुआ। उनकी कला को वो पहचान नहीं मिली जिसके वो हकदार थे। इनमें- गीत, संगीत, नृत्य, चित्रकारी, वाद्य यंत्रों में निपुण, क़िस्सागो, वास्तुकला, पहाड़ और जंगल प्रेमी, कुशल कारीगर, अद्भुत काश्तकार, पहाड़ों की बारीक समझ रखने वाले ऐसे गुमनाम साधकों पर आप लिख सकते हैं।
- आलेख लिखते हुए उनके बारे में पूरी जानकारी और तस्वीर देने का प्रयास भी हो।
- ऐसे बहुत से व्यक्ति आपके आस-पास ही मिल जाएंगे।
- इसमें लोक उत्सवों में गाने वाले बहुत से मर्मज्ञ गुमनाम जिंदगी जी रहे हैं। उन पर भी लिख सकते हैं।
- इंटरव्यू भी कर सकते हैं
- पुस्तकों के हवाले से शोधपरक भी लिख सकते हैं।