Home उत्तराखंड हलचल अल्मोड़ा के ग्राम पंचायत सीमा में घोटाले पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

अल्मोड़ा के ग्राम पंचायत सीमा में घोटाले पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

0
अल्मोड़ा के ग्राम पंचायत सीमा में घोटाले पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल : हाई कोर्ट ने अल्मोड़ा के ग्राम पंचायत सीमा में 2008 से 2019 तक किए गए निर्माण कार्यों में घपले की जांच व दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार से 11 मई तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

सुनवाई पर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में जांच चल रही है, दोषियों से 54 हजार रुपये रिकवरी हो चुका है जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विकास बहुगुणा ने कहा कि आरोपितों ने सरकारी धन का दुरुपयोग किया है । जांच सही पाई गई है लेकिन अभी सरकार ने मुकदमा दर्ज नहीं किया है।

अल्मोड़ा निवासी दीवान सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ग्राम पंचायत सीमा के ग्राम प्रधान बालम सिंह व ग्राम विकास अधिकारी दिनेश सिंह राणा ने ग्राम पंचायत में 2008 से 2019 के बीच हुए निर्माण कार्यो में सरकारी धन का गोलमाल किया गया है। उन्होंने राज्य सरकार ,जिला अधिकारी अल्मोड़ा व जिला पंचायत राज अधिकारी अल्मोड़ा को शिकायत की गई।

शिकायत पर 21 अगस्त 2021 को जिला पंचायत राज अधिकारी ने पूरे प्रकरण की जांच के आदेश जारी किए। जांच कमेटी ने 2008 से 2019 के बीच हुए सभी निर्माण कार्यो की जांच की। शिकायतकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पूर्व ग्राम प्रधान ने बिना राजस्व टिकट चस्पा किए चार लाख, 23 हजार 356 रुपये की धनराशि फर्जी मस्टरोल भरकर स्वयं निकाल लिए। मनरेगा हरियाली योजना के तहत उनके 472763 रुपये की धनराशि निकाली गई, जो श्रमिक निर्माण कार्य पर लगाये गए व ग्राम पंचायत के नहीं बल्कि नेपाली मजदूर थे।

आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण 2015- 2016 में हुआ। जिसको बनाने के लिए बाल विकास विभाग व मनरेगा ने 8,98, 000 रुपये की धनराशि दी। निर्माण में ग्राम प्रधान ने अकुशल श्रमिकों व घटिया सामग्री का उपयोग किया गया जिसकी वजह से केंद्र टूट चुका है। उनके ग्राम पंचायत के पेयजल योजनाओं में भी हेराफेरी की है। पूर्व ग्राम प्रधान ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 500 रु से कम के भुगतान करने के लिए रेवेन्यू टिकट की आवश्यकता नही है। फर्जी मस्टरोल नहीं भरा गया है। ग्राम पंचायत में श्रमिक नही मिलने के कारण बाहर से श्रमिक बुलाए गए।

आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण में उच्चकोटी की सामग्री व कुशल श्रमिक लगाए गए। निर्माण कार्यो की स्थलीय जांच करने पर कमेटी ने पाया कि कई निर्माण कार्य क्षतिग्रस्त हो गए है। सीमा धारा के सौंदर्यीकरण के निर्माण में ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी ने मजदूरों को एक ही दिन दो अलग अलग योजनाओं में कार्य करते हुए दिखाया गया। पेयजल टैंक मरम्मत की लागत 25992 रुपये थी, जो मस्टोरल भरा गया वह 28345 रुपये का भरा गया। कमेटी ने अपनी जाँच रिपोर्ट में कई घपले पाए और इनसे रिकवरी के आदेश जारी किए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here