उत्तराखंड में इस बार अच्छी बर्फबारी सेब के लिए वरदान साबित हो रही है। जनवरी और फरवरी में हुए भारी हिमपात से सेब को पर्याप्त चिलिंग आवर्स मिल रहे हैं। जिससे सेब की अच्छी पैदावार और मिठास बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में उत्तराखंड के बागवानों के चेहरे भी खिल उठे हैं। इस शीतकाल में अच्छी बर्फबारी होने से कृषि-बागवानी पर निर्भर हर्षिल, जौनसार-बावर के किसान और बागवान की बल्ले-बल्ले हो गई है। सीमांत क्षेत्र के बागवानों के लिए यह बर्फबारी उम्मीद की सौगात लेकर आई है।
सेब बगीचों में लंबे समय तक रहेगी नमी
ऊंचे इलाकों में मौसम का पांचवा हिमपात होने से पर्वतीय फलों के उत्पादन और कृषि फसलों के लिए काफी मुफीद है। इससे सेब बगीचों में लंबे समय तक नमी रहेगी, जिससे कृषि फसलों व फलों के उत्पादन में इजाफा होने की उम्मीद है। सेब उत्पादन में अग्रणी सीमांत त्यूणी व चकराता तहसील क्षेत्र में अधिकांश ग्रामीण परिवारों की आर्थिकी कृषि-बागवानी से चलती है। खेती-बागवानी से जुड़े क्षेत्र के सैकड़ों किसान व बागवानों के लिए फरवरी के शुरुआती चरण में हुई अच्छी बर्फबारी व बारिश फसलों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। सरकार ने यहां ग्रामीण बागवानों की सुविधा को उद्यान सचल केंद्र चौसाल, त्यूणी, कोटी-कनासर व चकराता में चार उद्यान सचल दल केंद्र खोले हैं। इन चारों केंद्र से क्षेत्र के करीब पांच हजार ग्रामीण बागवान जुड़े हैं।
बीते नवंबर से जनवरी के बीच चार बार हुई बर्फबारी
मौसम की बात करें तो यहां बीते नवंबर से जनवरी के बीच चार बार बर्फबारी हुई। उद्यान विभाग के आंकड़ों के अनुसार सीमांत त्यूणी व चकराता क्षेत्र में वर्ष 2012 से 2018 के बीच सेब उत्पादन आठ से 15 हजार मीट्रिक टन रहा, जबकि वर्ष 2019 में रिकार्ड 22 हजार मीट्रिक टन सेब उत्पादन हुआ। वर्ष 2021 के शुरुआती चरण में हुई अच्छी बर्फबारी के कुछ समय बाद फ्लावरिंग के समय ओलावृष्टि के चलते सेब उत्पादन में करीब 40 फीसद गिरावट आई, जिससे बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन, इस बार समय से अच्छी बारिश व बर्फबारी होने से सेब फलों के उत्पादन में पिछले बार के मुकाबले बेहतर पैदावार होने की उम्मीद जगी है। उत्तराखंड में सेब की अच्छी पैदावार के लिए 500 से एक हजार चिलिंग आवर्स पूरे करना मुफीद माना जाता है। चिलिंग आवर्स का मतलब तापमान शून्य से सात डिग्री सेल्सियस के बीच रहना है।