हेमकुंड साहिब रोप-वे परियोजना में ठेकेदारों ने लगाई फर्जी बैंक गारंटी

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उत्‍तराखंड में घांघरिया-हेमकुंड साहिब रोप-वे परियोजना के लिए चयनित की गई कंपनियों की बैंक गारंटी जांच में फर्जी पाई गई। पर्यटन विकास अधिकारी की तहरीर पर कैंट कोतवाली पुलिस ने चार कंपनियों के 11 निदेशकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

2015 में जारी किए गए थे टेंडर 

उत्तराखंड पर्यटन विभाग की ओर से रोप-पे परियोजना के लिए वर्ष 2015 में टेंडर जारी किए गए थे। परियोजना को पीपीपी मोड पर पूरा किया जाना था, जिसमें 11 कंपनियों ने आवेदन किया। 29 सितंबर 2016 तक प्रोजेक्ट का काम पूरा होना था, लेकिन तय समय पर कंपनियों ने काम शुरू ही नहीं किया। प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कंपनियों को कुछ समय के लिए रियायत दी गई, लेकिन तबभी कंपनियों ने काम शुरू नहीं किया।

ढाई करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा की गई थी वह फर्जी

नियमानुसार तय समय पर प्रोजेक्ट पूरा न कर पाने वाली कंपनी की बैंक गारंटी जब्त करने के लिए विभाग की ओर से भारतीय स्टेट बैंक गोल मार्केट नई दिल्ली से संपर्क किया गया। जिसमें पता चला कि कंपनियों की ओर से जो ढाई करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा की गई थी वह फर्जी है।

इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज 

इंस्पेक्टर कैंट कोतवाली शंकर सिंह बिष्ट ने बताया कि हेमकुंड रोप-वे प्रोजेक्ट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर मुकेश जोशी, अशोक सिरोही, अनिल कुमार तीनों निवासी हकीकल माल रोड नई दिल्ली, साहा बिल्डर्स स्टेटस प्राइवेट लिमिटेड कनाट सर्किट के निदेशक अशोक सिरोही व अनिल कुमार, पैन एंड पैक प्राइवेट लिमिटेड अरुणांचल बिल्डिंग बाराखंभा नई दिल्ली के डायरेक्टर हितेश जोशी, पुनीत सहगल, मुकेश जोशी, भास्करनंद काला, सुरेश कुमार और सोल प्रोप के डायरेक्टर आरके आनंद निवासी रमेश नगर दिल्ली के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध

परियोजना के टेंडर देने में पर्यटन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। क्योंकि टेंडर होने के बाद संबंधित कंपनी की बैंक गारंटी की जांच की जाती, जिससे पता चल जाता है कि जो बैंक गारंटी लगाई है वह सही है या नहीं। लेकिन विभागीय अधिकारियों ने वर्षों बाद भी यह जानने का प्रयास नहीं किया। इसलिए इन अधिकारियों पर भी संदेह है। 

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