मंजू दिल से… भाग-10 मंजू काला “खिचड़ी के है यार चार घी, दही, पापड़ आचार” – मुल्ला नसीरुद्दीन दाल-चावल की रूहों के एकाकार होने पर रचे गए जादूई व्यंजन का नाम है खिचड़ी और आज हम खिचड़ी कैसे बनाएं पर बात न करके कुछ because और बात करते हैं. सीधी-सादी, भोली-भाली खिचड़ी जिसकी पहचान न […]
ट्रैवलॉग
मंजू काला मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखती हैं. इनका बचपन प्रकृति के आंगन में गुजरा. पिता और पति दोनों महकमा-ए-जंगलात से जुड़े होने के कारण, पेड़—पौधों, पशु—पक्षियों में आपकी गहन रूची है. आप हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन करती हैं. so आप ओडिसी की नृतयांगना होने के साथ रेडियो-टेलीविजन की […]
मेरी कश्मीर यात्रा, भाग—1 डॉ. हेम चन्द्र सकलानी लगभग साढ़े तीन हजार किलोमीटर की यात्रा वह भी विश्व के सबसे सुन्दरतम स्थानों में से एक, जहां पृथ्वी की सुन्दरता के साथ प्रकृति ने अपना सम्पूर्ण सौंदर्य लुटाया हो, विश्व के प्रसिद्व हिमच्छादित दर्रों, ग्लेशियरों, सूर्य की रोशनी में दमकते हिम मण्डित शिखरों की, विश्व के […]
मंजू दिल से… भाग-8 मंजू काला यूँ तो पालम पुर, हिमाचल की सुरम्य उपत्यकाओं में बसा हुआ एक छोटा सा पर्वतीय स्थल है. हिमाचल की इस छोटी सी सैरगाह को “धौलाधार” के साये में पली कांगड़ा घाटी के so नाम से भी जाना जाता है. समुद्र तल से 1205 मीटर की ऊँचाई पर स्थित because […]
मंजू दिल से… भाग-7 मंजू काला कुछ समय पहले का वाक्या साझा करना चाहती हूँ, इजरायल की एक राजनयिक ने अपनी कुल जमा दो साड़ियों की ‘पूंजी’ शेयर करते हुए बड़ी मासूमियत से पूछा था- because ‘मेरे पास बस ये दो साड़ियां हैं, कौन सी बेहतर है?’ यह सिर्फ साड़ी के प्रति उनकी मुहब्बत नहीं […]
आशिता डोभाल यूं तो हमारे पहाड़ों में because ऊपर वाले ने हर एक चीज को इतनी खूसूरती से बनाया है जिसकी सुंदरता को दर्शाने के लिए शब्दकोश के शब्द भी कम पड़ जाते हैं या यूं कहें की ऊपर वाले ने कुछ चीजों को मानो सोच विचार कर बनाया हो बस कमी है तो मानव […]
ललित फुलारा यह काकड़ीघाट का वही because पीपल वृक्ष है, जहां स्वामी विवेकानंद जी को 1890 में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. असल वृक्ष 2014 में ही सूख गया था और उसकी जगह इसी स्थान पर दूसरा वृक्ष लगाया गया है, जिसे देखने के लिए मैं अपने एक साथी के साथ यहां पहुंचा था. काकड़ीघाट […]
मंजू दिल से… भाग-6 मंजू काला यदि आप ग्वालियर जाऐगा because तो ग्वालियर दुर्ग के भूतल भाग में स्थित गुजरी महल को जरूर देखिएगा! तोमर वंश के यशस्वी राजा मानसिंह तोमर गुर्जर ने अपनी प्रियतमा गूजरी रानी मृगनयनी के लिये सन् 1486-1516 ई. में यह महल बनवाया था. गूजरी महल 71 मीटर लम्बा because एवं 60 […]
मंजू दिल से… भाग-5 मंजू काला चूडियाँ पारंपरिक गहना है,because जिसका प्रयोग अमूनन हर भारतीय नारी करती है और जब तक उनकी कलाइयों पर ये सुंदर-सा गहना सज नहीं जाता, तब तक श्रंगार भला कैसे पूरा होगा! प्यारे हम भारतीय नारियाँ रंग-बिरंगी because चमकीली चूड़ियाँ कलात्मक एव सुरुचिपूर्ण ढंग से पहनकर अपनी कोमल कलाइयों का […]
पलाश के पत्तों पर भोजन करना स्वर्ण पात्र में भोजन करने से भी उत्तम है! मंजू दिल से… भाग-4 मंजू काला हमारे देश में सामाजिक अथवा धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न होने के पश्चात इष्ट-मित्रों, रिश्तेदारों को भोजन के लिये आमन्त्रित करना एवं प्रसाद का वितरण हमारी भोजन पद्धति का एक अंग है. because यद्यपि यह व्यवस्था […]
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