नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार में 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. आज सुनवाई में सरकार की तरफ से कोर्ट में शपथ-पत्र पेश कर कहा गया कि सरकार ने सभी पुस्तकालय नगर निगम को दे दिए हैं और नगर निगम इनका संचालन कर रहा है. इसलिए जनहित याचिका का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है. शपथ-पत्र के आधार पर कोर्ट ने इस जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है. इस तरह मदन कौशिक को हाईकोर्ट के फैसले से बड़ी राहत मिल गयी है.
ऐसे में इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया गया. याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया और विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है लिहाजा, पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए.